लेखक:
विजेंद्र प्रताप सिंह
जन्म तिथि : 04-06-1975 मूल निवास : ग्राम-नगला खन्ना, नारई, पो-सिकन्दरा राऊ, हाथरस, उ.प्र. शैक्षणिक योग्यता : एम.ए. (हिंदी, भाषाविज्ञान), स्लेट, पी.एच.डी, प्रयोजनमूलक हिंदी तथा अनुवाद में स्नातकोत्तर डिप्लोमा, उर्दू में डिप्लोमा। विशेषज्ञता क्षेत्र : भारतीय भाषाएं एवं भाषाविज्ञान, व्यतिरेकी भाषाविज्ञान, ब्रजभाषा का भाषाविज्ञान, राजभाषा, मोहन राकेश, आलोचना विमर्श (दलित, स्त्री, आदिवासी, तृतीय लिंग) पुरस्कार एवं सम्मान : 1. उत्तम कलाकार पुरस्कार, नाट्य मंचन, 1998, अंतर रेल हिंदी सप्ताह समारोह, दक्षिण पूर्व रेलवे मुख्यालय, कोलकाता, 2. विशिष्ट हिंदी सेवी सम्मान, 2014, उत्तर प्रदेश हिंदी प्रोत्साहन समिति, सिकन्दरा राऊ, हाथरस, 3. बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर राष्ट्रीय फेलोशिप सम्मान-2015, भारतीय दलित साहित्य अकादमी, दिल्ली। कार्य अनुभव : 1. सन् 1999 से 2011 तक राजभाषा विभाग, भारतीय रेल में सेवा, 2. सन् 2011 से वर्तमान तक उच्च शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश में कार्यरत। संपादन : रेलनिधि, प्ररेणा, रेलमेल, हिंदी सुरभि तथा ऋचा पत्रिकाओं का संपादन। प्रकाशित : हिंदी साहित्य विविधा, व्यतिरेकी भाषाविज्ञान, ऋषभदेव शर्मा का विकर्म, ब्रज का भाषाविज्ञान (स्वरचित), Emerging Trends in Higher Education, Role of Higher Education in Context of socio, Economic and Scientific Standards, वंचित संवेदना का साहित्य, भाग-1 (दलित विमर्श), वंचित संवेदना का साहित्य भाग-2 (स्त्री विमर्श), वंचित संवेदना का साहित्य भाग-3 (आदिवासी विमर्श), विमर्श का तीसरा पक्ष (संपादित), उपन्यासों के आईने में थर्ड जेंडर, कथा और किन्नर (कहानी-संग्रह), पत्रिकाओं में तथा ई पत्रिकाओं में कविताएं, आलेख, लघुकथाएं, कहानियां प्रकाशित होने के साथ-साथ रिसर्च जर्नलों तथा आइ.एस.बी.एन. पुस्तकों में कुल 73 शोधालेख। रेडियो प्रसारण : सन् 1996 से 1999 तक आकाशवाणी केंद्र विशाखपटनम से 15 कविताएं प्रसारित संप्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर (हिंदी), राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जलेसर, एटा, उत्तर प्रदेश |
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भारतीय साहित्य एवं समाज में तृतीय लिंगी विमर्शविजेंद्र प्रताप सिंह
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हिन्दी उपन्यासों के आइने में थर्ड जेंडरविजेंद्र प्रताप सिंह
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